….तो पत्रकारिता को भी जरूर शुद्ध कर देगा

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर

कोरोना वायरस ने अगर प्रदूषित गंगा, प्रदूषित समुद्र को शुद्ध कर दिया तो पत्रकारिता को भी जरूर शुद्ध कर देगा

पल्लव

आज पत्रकारिता भी अशुद्धि के कगार पर पहुंच चुकी है। पेड न्यूज ने इसके चेहरे को बदरंग कर दिया है। मोबाइल, वाट्स एप और यू ट्यूब ने तो सबको बिना ब्रेक और क्लच का पत्रकार बना दिया है। जिसको जो मन आया वह ग्रुप में डाल दिया। न कोई सर्विलेंस करने वाला है, न ही कोई देखने वाला है। इस अशुद्धि भरे माहौल में सच भी झूठ के सामने बौने दिखने लगे हैं।
इस कोरोना काल में जब नदियां साफ हो रही हैं। गंगा का पानी भी पीने लायक होने लगी है। कई नदियों से गायब हो चुकी डोलफिन भी अब छलांग लगाते दिख रही है। समुद्र का पानी भी साफ होने लगा है। यहां तक कि इस कोरोना काल में ओजोन लेयर का छेद भी भरने लगा है। आर्कटिक पर एक मिलियन वर्ग किलोमीटर चौड़ा छेद अब बंद हो चुका है। ऐसी हालत में पत्रकारिता में भी आश जगी है कि इसका भी शुद्धिकरण कोरोना कर देगा। जालफर और झंडुबाम टाइप पत्रकार भी गायब हो जायेंगे।

पत्रकारिता में लोग पाते कम गवांते ज्यादा हैं
पत्रकारिता एक पवित्र पेशा है। जिसकी आर्थिक स्थिति अच्छी न हो, उसे इस पेशे की ओर पैर बढ़ाने से रोकना चाहिए। कमाने के ध्येय से इस पेशे में आता है तो वह उसकी सबसे बड़ी भूल है। इसमें पाने को कम और गवांने का अवसर ज्यादा मिलता है। इसमें मिलती है तो केवल प्रतिष्ठा, वह भी बड़ी मुश्किल से। इसलिए तो कहा गया है कि तोप मुक्कविल हो तो अखबार निकालो। पर आज कुछ लोगों ने इसे ब्लैक मेलिंग का साधन मानकर हाथ पैर मार रहे हैं। परिणाम सबको मालूम है। भले ही कुछ देर ऐसे लोग पत्रकारिता में छटापटा लें। आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पत्रकाराें को गिरबी रखे कलम की सूख चुकी स्याही को फिर से जिंदा करने की जरूरत है। जालफर और झंडुबाम टाइप पत्रकार को आम लोग और कुछ दिन झेलेें। कोरोना खत्म होते- होते ऐसे लोग भी पत्रकारिता से गायब हो जायेंगे। इसी आशा के साथ इस प्रदूषित काल में भी अच्छी पत्रकारिता करने वाले साथियों को नमस्कार, सलाम, जोहार।

दैनिक भास्कर, गोड्डा के रिपोर्टर प्रदीप पल्लव जी के फेसबुक वॉल से। 

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