अतिवीर व बालमुकुन्द फैक्ट्री में मजदूरी भुगतान को लेकर हंगामा
गिरिडीह : गिरिडीह के स्टील उद्योग पर भी लॉकडाउन का असर दिखने लगा है. गिरिडीह में स्टील उद्योग में हजारों लोगों का रोजगार जुड़ा है. 27 अप्रैल को मजदूरी भुगतान को लेकर अतिवीर समूह के चाईना प्लांट में करीब पांच सौ से अधिक मजदूरों ने फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ फैक्ट्री के भीतर ही मोर्चा खोल दी. उग्र मजदूरों को नियत्रिंत करने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी. उधर, चतरो स्थित बालमुंकुद प्लांट के मजदूरों ने भी पहले प्लांट के भीतर हंगामा किया. मजदूरों ने प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब प्लांट के ऑफिस में कार्यरत कर्मचारियों को भुगतान किया जा रहा है तो फिर मजदूरों को क्यों नहीं.
बताते हैं कि झारखण्ड में दूसरे बड़े लौह उद्योग की गिनती में गिरिडीह का अतिवीर समूह के चाईना प्लांट है. यहाँ करीब पांच सौ से अधिक मजदूरों ने फैक्ट्री प्रबंधन पर मजदूरी भुगतान नहीं करने का आरोप लगाते हुए प्लांट के भीतर ही प्रदर्शन किया. जानकारी मिलने के बाद प्रशिक्षु आइपीएस मुकेश लुणायत पुलिस जवानों के साथ चाईना प्लांट पहुंचे और हंगामा कर रहे मजदूरों को समझाने का प्रयास किया. लेकिन बगावत पर उतरे मजदूरों की भीड़ ने पुलिस की भी नहीं सुनी. प्रशिक्षु आइपीएस के निर्देश पर जवानों ने जब वर्करों और मजदूरों को खदेड़ना शुरू किया, तो स्थिति सामान्य हो पायी.
मजदूरों ने हंगामे के दौरान प्लांट के निदेशक गुड्डु सरावगी पर आरोप लगाते हुए कहा कि कई महीनों से प्रबंधन ने मजदूरों और वर्करों का भुगतान नहीं किया है. जबकि प्लांट में जितने मजदूर व वर्कर हैं, वह सब आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बिहार के रहनेवाले हैं. घर से पैसे के लिए लगातार फोन आ रहा है. लेकिन दिसंबर के बाद वेतन का कोई भुगतान नहीं हुआ है. इस बीच अतिवीर स्टील के निदेशक गुड्डु सरावगी भी फैक्ट्री पहुंचे, और मजदूरों के साथ वार्ता की.
प्रशिक्षु आइपीएस की मौजदूगी में निदेशक सरावगी ने कहा कि करीब चार सौ से अधिक मजदूरों को मार्च महीने तक भुगतान किया गया है. जबकि चाईना प्लांट बीते 22 मार्च से लॉकडाउन के बाद बंद कर दिया गया था. अब प्लांट बंद है और बैंकों से कोई पैसे नहीं मिल रहे हैं तो प्लांट मजदूरों का वेतन भुगतान कैसे करेंगे. हालांकि निदेशक ने मजदूरों पर भी आरोप लगाया कि सारे मजदूर नहीं, बल्कि कुछ मजदूर नेतागिरी कर प्लांट को बदनाम करने के प्रयास में है. जबकि चाईना प्लांट जिस दिन से बंद किया गया, उस दिन से हर मजदूर को रखने के साथ तीनों वक्त का भोजन भी करा रहा है. जब तक कोई सरकारी सहयोग नहीं मिलता, तब तक बाकी मजदूरों का वेतन भुगतान करना संभव नहीं है. इस दौरान सीओ रवीन्द्र सिन्हा ने हर मजदूरों का बैंक स्टेटमेंट देने की बात कही. जिसे फैक्ट्री प्रबंधक के दावों की जांच की जा सके.
भाकपा माले ने भी की है मजदूरी भुगतान की मांग
इधर चतरो स्थित बालमुंकुद प्लांट के मजदूरों ने भी पहले प्लांट के भीतर जम कर हंगामा किया. बालमुंकुद प्लांट के मजदूरों ने प्रदर्शन के दौरान प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब प्लांट के ऑफिस में कार्यरत कर्मचारियों को भुगतान किया जा रहा है तो फिर मजदूरों को क्यों नहीं, इधर बालमुंकुद स्टील के ठेकेदार श्रीनिवास ने मजदूरों के लगाये आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि मजदूरों के भुगतान में कोई परेशानी नहीं हो रही है. जल्द ही भुगतान कर दिया जायेगा.
इसके पहले भी एक मामला चतरो स्थित बालमुकुंद फैक्ट्री से सामने आया था. करीब दो दर्जन मजदूरों ने भाकपा माले से संपर्क कर उन्हें बकाया मजदूरी दिलवाने की मांग की. मजदूरों की ओर से इस बाबत जिला प्रशासन को भी आवेदन दिया गया है. मजदूरों ने बताया कि उनके ठेकेदार ने मकान मालिक से कह कर उनके डांड़ीडीह स्थित किराए के मकान को भी खाली करने को कह दिया है, लेकिन मकान मालिक से किसी तरह आग्रह करके वे अभी तक रह रहे हैं. ठेकेदार ने 14 अप्रैल के बाद उनका राशन भी बंद कर दिया है. कल तक उन्होंने किसी तरह अपने जमा पैसों से खाने का इंतजाम किया पर आज से राशन का भी संकट खड़ा हो गया है.
भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य राजेश कुमार यादव तथा गिरिडीह विधानसभा प्रभारी राजेश सिन्हा ने बालमुकुंद के उक्त सभी मजदूरों की 2 माह की बकाया मजदूरी का भुगतान करने की मांग की है. उक्त सभी मजदूरों के समक्ष फिलहाल खाने-पीने की भी दिक्कत उत्पन्न हो गई है. ऐसी स्थिति में माले नेताओं ने प्रशासन से तत्काल प्रभावित सभी मजदूरों को पर्याप्त राशन भी उपलब्ध कराने की मांग की है.
पीड़ित मजदूरों में अन्य लोगों के अलावा उपेंद्र यादव, आकाश सिंह, योगेंद्र यादव, सुग्रीव कु0 राय, मनीष कुमार यदव, पिंटू गुप्ता, विकास मौर्या, कुंदन सिंह, रामु मौर्या, कुश कुमार, राहुल यादव , पन्नालाल मौर्या, गुड्डू यादव, धर्मेंद्र कुमार, बसन्त कुमार, रोहित विश्वकर्मा, सुरेश मौर्या, रामु मौर्या आदि थे.