‘सत्य’ की मर्यादा को बरकरार रखना है तो अपनी नैतिकता को जिंदा रखें’
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 3 मई को गिरिडीह प्रेस क्लब के सदस्यों ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए। गिरिडीह प्रेस क्लब के अध्यक्ष राकेश सिन्हा (ब्यूरो चीफ, प्रभात खबर, गिरिडीह) ने क्लब के सदस्यों को बधाई दी और क्लब के व्हाट्सएप ग्रुप में ऑनलाइन ‘पत्रकारों की भूमिका’ विषय पर विचार आमंत्रित किया।
‘हर क्षेत्र में पत्रकारों की चुनौतियां बढ़ी है’
आज हर क्षेत्र में पत्रकारों के लिए चुनौतियां बढ़ी है। पत्रकार अपने दायित्वों का निर्वहन तो कर रहे हैं, पर खुद उसके अधिकारों की रक्षा नहीं हो पा रही है। यूं कहें कि पत्रकार आज तलवार की धार में खड़ा होकर काम करने को मजबूर है।
अरविंद कुमार, न्यूज़11, गिरिडीह
‘अपने मार्ग पर दृढ़ इच्छा के साथ आगे बढ़ें’
सर्वप्रथम सभी मीडिया मित्रों को प्रेस दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।
कोविड-19 यानी कोरोना महामारी के दौरान सम्पूर्ण प्रेस जगत संक्रमण काल से गुजर रहा है। इस काल में सबसे ज्यादा प्रभावित धरातल पर काम करनेवाले हमारे और आप जैसे मित्रगण हैं। बावजूद हमारे समक्ष रोज चुनौतियां पेश हो रही हैं। हम आप और सभी पत्रकारिता धर्म का पालन करते हुए अपनी जिजीविषा के कारण उन चुनौतियों का सामना करते रहे हैं। चुनौतियां और संक्रमण काल आते जाते रहेंगे। हमें अपने मार्ग पर निरंतर दृढ़ इच्छा के साथ आगे बढ़ते रहना है। प्रेस दिवस पर हमारी ओर से सभी मित्रगण बधाई स्वीकार करें। हम हृदय से प्रार्थना करते हैं कि आप पत्रकारिता के हर झंझावतों का सामना करते हुए नित्य ऊंचाईयों को ग्रहण करें। धन्यवाद।
लक्ष्मी, ब्यूरो चीफ, हिन्दुस्तान, गिरिडीह
‘सत्य’ की मर्यादा को बरकरार रखना है तो अपनी नैतिकता को जिंदा रखें’
इस दुनिया में ‘सत्य’ की मर्यादा को बरकरार रखने की जिम्मेवारी पत्रकारिता को दी गयी है। पत्रकारिता को पत्रकार नियंत्रित करते हैं, जिन्हें नैतिक होना बहुत जरूरी है। लेकिन, आज के दौर की पत्रकारिता में नैतिकता का अभाव दिख रहा है। पत्रकारिता के नियमों को ताक पर रखा जा रहा है और यही कारण है कि पत्रकारिता पर उंगली उठ रही है।
बहरहाल, पत्रकारिता के माध्यम से ‘सत्य’ की मर्यादा को बरकरार रखना है तो पत्रकारों को अपनी नैतिकता नहीं खोनी होगी। नैतिकता को जिंदा रखें, पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर कभी आंच नहीं आएगी।
‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
सुनील मंथन शर्मा, संपादक, इंडियन माइंड
‘दूसरों का भविष्य संवार रहे, पर पत्रकारों का भविष्य भंवरजाल में’
वर्तमान दौर में पत्रकारों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। इन जिम्मेदारियों का निर्वहन भी किया जा रहा है। समाज में खबरों के माध्यम से वास्तविकता को परोसने का काम किया जाता है। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को उजागर कर उनकी वापसी कराने में पत्रकारों की भूमिका अहम रही। हां यह भी सच्चाई है कि खबरों को सनसनीखेज बनाने की होड़ भी मची हुई है जो मीडिया पर सवाल खड़े करते हैं। यहां इस बात का भी जिक्र जरूरी है कि दूसरों का भविष्य संवारने की कोशिश में जुटे पत्रकारों का भविष्य खुद अनिश्चितता के भंवरजाल में फंसा हुआ है।
सूरज सिन्हा, प्रभात खबर, गिरिडीह
‘दुख में भी पत्रकार अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं’
सोशल मीडिया के इस युग में पत्रकारिता के समक्ष नई तरह की चुनौती भी रह-रह कर सामने आ रही हैं। खबरों के तह तक जाने बगैर या फिर सत्यता को समझे बगैर कुछ भाई खबर परोस रहे हैं। इससे बचना है और सही खबर को ही हमें सबके सामने रखना है। बाकी पत्रकारों की पीड़ा आज भी उसी तरह से कायम है। आज भी मैनेजमेंट स्तर के लोगों को पत्रकारों की माली स्थिति की चिंता नहीं है। ऊपर के लोग आज भी जिला या अंचल के पत्रकारों को शक भरी नजरों से देखते हैं। कोरोना महामारी के दौरान आज हर वर्ग अपने या अपने तबके के जरूरतमंद लोगों के लिए आर्थिक पैकेज की मांग कर रहा है लेकिन पत्रकारों के लिए कहीं से कोई मांग नहीं रखी गयी। चलिए इसके बावजूद मुस्कुराते हुए पत्रकार भाई अपने कर्तव्यों का निर्वहन भलीभांति कर रहे हैं.
अमरनाथ सिन्हा, ईटीवी भारत, गिरिडीह
‘पत्रकार महती भूमिका निभा रहे हैं’
अंतराष्ट्रीय प्रेस दिवस का उद्देश्य दुनिया भर की स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करना है। प्रेस की आजादी यह साबित करती है कि उस देश मे अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है। कोविड 19 के इस वैश्विक संकट के काल मे सबसे ज्यादा प्रभावित हमारे मीडिया के साथी हो रहे हैं। रोज कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। दुनिया के किसी भी देश का उदय और उसकी प्रगति में पत्रकारों की भूमिका अहम रही है। कोई भी देश हम पत्रकारों को अनदेखा कर विकास की ऊँचाई हाशिल नहीं कर सकती है। आजादी से लेकर अब तक देश में कई पत्रकारों ने अपनी महती भूमिका निभाई है। कई साथियों पर समय-समय पर हमला भी हुआ। कई ने अपनी कुर्बानी भी दी है। आज उन साथियों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है।
अंजनी कुमार सिन्हा, दैनिक जागरण, गिरिडीह
‘पत्रकारिता की स्वतंत्रता बचाने की जिम्मेवारी हमारी’
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की सभी बड़े भाइयों और बंधुओं को शुभकामनाएं। प्रेस स्वतंत्रता दिवस अथार्त प्रेस की स्वतंत्रता का हनन होने पर ही विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस को प्रचलन में लाया गया। लेकिन विचारणीय यह है कि वर्तमान समय में कहीं न कहीं पत्रकारिता की स्वतंत्रता के साथ ही इसके भी नैतिकता में भी काफी ह्रास हुआ है। ऐसे में पत्रकारिता की स्वतंत्रता और नैतिकता को बचाने की जिम्मेवारी भी हम पत्रकारों की ही बनती है। जय हो।
रिंकेश कुमार, सीधी नजर, गिरिडीह
‘प्रेस को आर्थिक रूप से सक्षम होना होगा’
विश्व प्रेस दिवस क्या होता है?
मैं सिर्फ भारत की बात करूंगा।क्योंकि विश्व में तो एडवोकेसी जर्नलिज्म का भी अस्तित्व है, जिसमें प्रेस किसी खास सरकार, कंपनी, अभियान या व्यवसायी को मार्केटिंग की तरह प्रोमोट करता है और उसे गलत भी नहीं माना जाता। देश में प्रेस को पूरी स्वतंत्रता है, यहां तक स्वतंत्रता है कि अखबार, पत्रकार और चैनल अपनी एक खास छवि बना लेते हैं। वो वामपंथी, सरकार विरोधी, सरकार समर्थक, चाटूकार वाली इमेज बना लेते हैं। सिर्फ निष्पक्ष वाली इमेज ही मुश्किल से बनाते हैं। प्रेस को खतरा दो ही चीज से होता है। सरकार से या ताकतवर दुस्साहसी आपराधिक तत्वों से। प्रेस किसी प्रमाण के रहने पर इन दोनों से नहीं डरता। कई पत्रकार इनके हाथों प्राण गंवा चुके हैं, लेकिन इनके भय से कभी प्रेस पीठ नहीं दिखाता। राजदेव रंजन, डेनियल पर्ल, मूसा खान, डी डे जैसे दर्जनों उदाहरण हैं। प्रेस अपनी स्वतंत्रता का क्षरण खुद करता है। या तो पीत पत्रकारिता करके, चरण वंदना करके या फायदे के लिये चुप रह कर। आज प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक को अस्तित्व बचाने के लिए ‘माल’ चाहिए और ‘माल’ चुप रहकर, चरण वंदना करके ही मिलेगा।
प्रेस अगर आर्थिक रूप से खुद सक्षम हो तो देश में इसकी स्वतंत्रता पर कोई आंच नहीं उल्टे यह और निरंकुश उच्छृंखल विध्वंसक हो जायेगा।
अजय सिंह, पत्रकार हिंदुस्तान गिरिडीह
‘तंगी में भी पत्रकार निभा रहे महत्वपूर्ण भूमिका’
समाज के अंतिम पायदान के लोगों की समस्या को सरकार या शासन व्यवस्था तक पहुंचाने एवं उस वर्ग के हितार्थ कार्य कराने में पत्रकारों की अहम भूमिका रही है। पत्रकार अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं। लेकिन आज अधिकांश पत्रकार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। भले ही इनके चेहरे पर खुशी दिखती है लेकिन इसके पीछे गम छुपा हुआ रहता है। कोरोना महामारी में पत्रकार भी अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन पत्रकारों की न ही प्रबंधन सुध ले रहा है और न ही सरकार। इसके बावजूद भी पत्रकार अपने कार्यों को जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं। समाज को आइना दिखाने वाले कई पत्रकारों की हालत आज बहुत खराब है। पत्रकार दिवस पर सभी पत्रकार भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं। जगजीत सिंह बग्गा, इंडियन पंच, गिरिडीह
‘पत्रकार नहीं बेरोजगारों को नौकरी देकर काम चला रहे संस्थान’
सबसे पहले सबों को विश्व प्रेस दिवस की ढेर सारी शुभकामना। पत्रकारिता की मर्यादा तभी सुरक्षित है, जब एक पत्रकार खुद को सही मायने में पत्रकार समझ सके। लेकिन आज का दौर कुछ और ही है। यह बढ़ती बेरोजगारी का परिणाम है। सही मायने में समाज के हर वर्गों की समस्या और लड़ाई लड़ने वाले पत्रकार अब गुम हो गए हैं। पत्रकारिता के नाम पर मीडिया संस्थान बेरोजगारों को नौकरी देकर काम चला रही है। तो फिर नैतिकता सामने ला पाना मुश्किल है, क्योंकि पत्रकारिता के मापदंडों की रक्षा करना ऐसे में संभव नहीं है। ये बेहद अफसोस की बात है कि इसी जिले में कई कर्तव्यनिस्ट और स्वच्छ पत्रकारिता करने वाले मार्गदर्शक रह चुके हैं। चाहे वो स्वर्गीय मोहनलाल छापरिया जी हो या गांधी जी। ये सभी आज के दौर के पत्रकारों के काम करने का उदाहरण बन सकते हैं। वैसे लोगों ने पत्रकारिता के हर मापदंड को पूरा करते हुए ही समाजहित में कलम चलाया।
मनोज पिंटू, न्यूज़ विंग डॉट कॉम, गिरिडीह
‘प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र को करती है मजबूत’
प्रेस की स्वतंत्रता देश के लोगों को सच का आईना दिखाती है और लोकतंत्र को मजबूत बनाती है। सभी मीडिया मित्रों को प्रेस दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।
राजन सिन्हा, पत्रकार, गिरिडीह
‘ग्रामीण क्षेत्र में भी चुनौतियां के साथ की जा रही पत्रकारिता’
कोरोना वायरस के प्रभाव के मद्देनजर लॉकडाउन की इस अवधि में पत्रकारों की परेशानियों में इजाफा हो गया। हालांकि परेशानियों के बाद गांव-देहात में रहनेवाले गरीब-मजदूर तक सरकारी सुविधा पहुंचने व सुविधा से वंचित रहने की खबर को अखबार के माध्यम से लोगों तक पहुंचाकर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। सुदूरवर्ती क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गरीब भूखा न रहे, इसके लिए इन क्षेत्रों में भ्रमणशील रहकर पीडीएस, दीदी किचन व अन्य माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाए जाने की खबर को सामने लाकर सजगता व जागरूकता का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि कुछ मामले में पत्रकारिता के नियम से अलग हटकर कार्य किए जाने के कारण पत्रकारों की पत्रकारिता व संबंधित पत्रकार कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है। इसलिए जरूरत है खबरों की सत्यता को परखने की। सोशल मीडिया पर प्रचारित आधारहीन खबरों से भी बचने की जरूरत है।
श्रवण कुमार, प्रभात खबर, देवरी
‘पत्रकारों को आर्थिक पैकेज की जरूरत’
मीडिया के सभी साथियों को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। कोरोना संक्रमण के खतरे और लॉक डाउन के समय हम पत्रकारों के समक्ष कई नई चुनौतिपूर्ण परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हैं। एक तरफ समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन तो दूसरी तरफ जमीनी स्तर पर समाचार संकलन के दौरान खुद को संक्रमण से बचाए रखना। इस संक्रमण काल में भी हमारी चिंता समाज के एक समूह को नहीं है। आज के माहौल में पत्रकारों के लिए आर्थिक पैकेज की जरूरत है।
शशि जायसवाल, प्रभात खबर, डुमरी
‘काहे बेकार का सवाल पूछते हो’
माजी मुस्तकबिल और हाल पूछते है। अरे काहे बेकार का सवाल पूछते हो।
पत्रकारिता एक अंतहीन सफर।
श्रीकांत उज्जैन, कशिश न्यूज़, गिरिडीह
‘पत्रकारिता लोगों के जीवन में बदलाव लाता है’
पत्रकरिता आज के समय में लोगों के जीवन में ना सिर्फ कई अच्छे बदलाव लाता है बल्कि, एक अच्छी छाप भी छोड़ता है। इसके केवल लाभ ही है, किन्तु कुछ लोग इसका गलत लाभ भी उठाते हैं जिससे यह उनके जीवन में नुकसान का आधार भी बनता है। अगर हमारी आंख बंद कर दी जाए और हमारे लेखिनी की आजादी छीन ली जाए उसके बाद समाज में लोगों से पूछा जाए कि हमारे समाज, हमारी दुनिया में क्या चल रहा है तो कोई कुछ नहीं बता पाएंगे। वे एक अंधे व्यक्ति के समान कुछ अनजान से रहेंगे। इसलिए पत्रकार को समुचित आजादी मिलनी चाहिए, जिससे वो अपनी कलम की ताकत से लोगों के आंखों पर बंधी पट्टी खोल सके और कहे कि देखो तुम्हारे आसपास और दुनिया में क्या चल रहा है साथ ही इसे पढ़ो, समझो और इसका लाभ उठाओ। मगर फिर भी हमारी विवशता तो देखिए लोगो के लिए इतना करने के बाद भी हमें गोदी मीडिया, बिकाऊ मीडिया जैसे कई प्रकार की अभिव्यक्तियों से सम्मानित किया जाता है और हम मुस्कुरा कर, सभी बातो को भुलाकर अपने अपने कार्यों में लगे रहते है।
निशांत बरनवाल, गावां, गिरिडीह
अजहर नफीस ने आगरा के टीवी पत्रकार मानवेन्द्र मल्होत्रा की कविता प्रस्तुत की।
सरकार बनाने बिगाड़ने की बात है करता
सिस्टम सुधारने की दम है रखता
दीवानगी की हदों को पार है करता
कलम कैमरे से प्रहार है करता
कभी दंगो में कभी बलवों में
खबर पाने की फ़िक्र में
जनता को सच दिखलाने की जिद में
अपनी फ़िक्र जो नहीं है करता
धन से वंचित वह है रहता
सरस्वती की पूजा है करता
बुद्धिजीवी वह है कहलाता
अभावग्रस्त जीवन वह जीता
चौथे स्तम्भ की संज्ञा वो है पाता
सर्वनाम होकर रह जो जाता
पत्रकार वह है कहलाता
प्रवीण राय, शाहिद इमाम, बिनोद शर्मा, संतोष तिवारी, शाहिद क्यूम, जगनाथ मंडल, सुरेन्द्र यादव, सुमरजीत सिंह, अभिनय कुमार ने भी विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी।