हजारीबाग में सिर्फ 7.16 प्रतिशत लोगों को मिला राशन : संजय
— लंबित राशन कार्ड आवेदन में राशन वितरण का मामला
— जनहित याचिका से हुआ खुलासा
हजारीबाग : झारखंड सरकार ने 23 मार्च 2020 को घोषणा की थी कि ऐसे परिवार जो जन वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर हैं और जिनका राशन कार्ड का आवेदन लंबित है, उन्हें 10 किलो अनाज दिया जाएगा। सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार लगभग 7 लाख ऐसे परिवार हैं। उच्च न्यायालय में इस सम्बन्ध में दायर एक जनहित याचिका में 27 अप्रैल 2020 को सरकार ने जवाब दिया कि राज्य में केवल 35 प्रतिशत परिवारों को ही 10 किलो अनाज दिया गया है। यह कहना है आप नेेता और सोशल एक्टिविस्ट हजारीबाग के संजय मेहता का।
श्री मेहता ने बताया कि जवाब में हजारीबाग जिले का भी आँकड़ा दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि 25 अप्रैल 2020 तक हजारीबाग में 56 हज़ार 109 आवेदन आये जिसमें 4 हज़ार 17 लोगों को ही सिर्फ राशन मिला। जो कुल प्राप्त लंबित आवेदनों का 7.16 प्रतिशत है।
उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के जवाब में दिए गए इस आँकड़े से सरकार ने अपनी नाकामी को स्वतः स्वीकार कर लिया है।
संभव है कि इसमें कुछ परिवर्तन हुआ होगा लेकिन फिर भी स्पष्ट हो जाता है कि लंबित आवेदनकर्ताओं तक सरकार दस किलो अनाज पहुँचाने में विफल रही है।
सरकारी आदेश में यह भी कहा गया है कि ऐसे पात्र परिवार जिनके पास राशन कार्ड नहीं है और जिन्होंने कार्ड के लिए आवेदन नहीं दिया है, उन्हें भी अनाज दिया जाएगा लेकिन उन्हें इस लॉक डाउन में ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जो गरीबों के लिए व्यवयहारिक तौर पर उचित नहीं प्रतीत होता है। यह जनहित याचिका आप की तरफ से राज्य सचिव राजन सिंह ने उच्च न्यायालय झारखंड में दाखिल किया था।
गरीबों को मिले राशन, डीलर न करें भेदभाव : संजय मेहता ने कहा कि यह समाज के लिए मुश्किल वक्त है। अभी सबको मिलजुलकर काम करना है।
नकारात्मक आलोचना का वक्त नहीं है लेकिन आंकड़ों के आधार सरकार को सकारात्मक रूप से ध्यान दिलाना भी एक सामाजिक कर्त्वय है।
सरकार ने पिछले दिनों राशन दुकानदारों पर कार्रवाई करके कड़े रुख का संदेश दिया है। सरकार से यही अनुरोध है कि गरीबों तक ईमानदारी पूर्वक राशन पहुँचे इस व्यवस्था को दुरुस्त की जाए।
डीलरों द्वारा भेदभाव किये जाने की सूचना लगातार प्राप्त हुई है उन सभी से अनुरोध है कि आप सब ईमानदारी से कर्त्वय का पालन करें, गरीबों को सम्मान पूर्वक राशन दें।