समझो आया है मुहब्बत का महीना सावन

— साहित्योदय साहित्य संग्राम के आठवें महासंग्राम में देश-विदेश के रचनाकार और चिकित्सकों की शानदार प्रस्तुति
— रचनाकारों को मिला हरियाली सम्मान

इंडियन माइंड डेस्क : अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला संगम- साहित्योदय द्वारा संचालित साप्ताहिक परिचर्चा सह अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन साहित्योदय साहित्य संग्राम का आठवां एपिसोड 12 जुलाई को सावन मय रहा। कार्यक्रम की शुरुवात किशोरी के गाये शिवस्तुति से हुई। मुख्य अतिथि के रूप में कनाडा के वरिष्ठ कवि गोपाल बघेल मधु ने किया। उन्होंने शिव और सावन पर शानदार प्रस्तुति दी। डेढ़ घण्टे के महासंग्राम में राष्ट्रीय कवि अजय अंजाम ने मुद्दतो बाद फिर से ये शैलाब बरसी है समेत श्रृंगार की काव्यवर्षा की तो ओज से वीर जवानों का भी हौसला बढ़ाया। दिल्ली से डॉ अरुण पांडेय ने बरसात में कोरोना और दूसरी बीमारियों से बचाव के उपाय बताए तो प्रेम और सावन की कविताएं भी सुनाई। लुधियाना की कवयित्री अर्चना खापरान ने प्रेम और श्रृंगार की वर्षा की तो गुड़गांव की डॉ रेणु मिश्रा ने कजरी वाला इश्क़ सुनाया। हैदराबाद से सुदेष्णा सामन्त और उनकी बेटी सन्निधि ने शिव आराधना पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया तो राँची की डॉ राजश्री जयंती ने अपनी गीतों से सबके दिल को धड़का दिया। वहीं कल्याणी झा ने ग्रामीण सावन का दृश्य दिखाया। साहित्योदय के संस्थापक अध्यक्ष कवि पंकज प्रियम ने शानदार सन्चालन करते हुए सावन और बरसात पर कई शानदार मुक्तक पढ़े। कार्यक्रम के अंत में सभी रचनाकारों को साहित्योदय हरियाली सम्मान दिया गया।
पंकज प्रियम ने बताया कि साहित्य की सेवा में पिछले कई वर्षों से लगे साहित्योदय ने इस कोरोना काल को साहित्य सृजनकाल में बदल दिया है। लोकडौन पीरियड की निराशा और तनाव को दूर करने के लिए गक्त 22 मार्च से ही * कोरोना से जंग साहित्योदय के संग * अभियान चला रखा है जिसमे अबतक 1200 से अधिक ऑनलाइन काव्य पाठ हो चुका है। एकल काव्य पाठ के भो 200 एपिसोड पूर्ण होने को हैं। विश्व के सबसे अनूठे लाइव शो साहित्य संग्राम को पूरी दुनिया का असीम प्यार और समर्थन मिल रहा है। इसमें हरबार एक ज्वलन्त सामाजिक विषयों पर चर्चा और कवि सम्मेलन किया जाता है। साहित्योदय पेज को 50 से अधिक देशों के लाखों दर्शक देख रहे हैं। साहित्योदय सावन महोत्सव समेत आगामी कई अन्य रोचक कार्यक्रम प्रारम्भ हो रहे हैं। साहित्य संग्राम को सफल बनाने में वरिष्ठ पत्रकार राकेश तिवारी, संजय करुणेश, जयप्रकाश राज, सुदेष्णा सामन्त और किशोरी का महत्वपूर्ण योगदान है।

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