साहित्य क्षितिज का दिनकर बनना आसान नहीं

Indian Mind Desk : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर साहित्योदय पर विराट कवि सम्मेलन शब्दांजलि का आयोजन किया गया जिसमें देशभर के करीब 50 रचनाकार शामिल हुए। दिनकर के साथ काम कर चुके प्रख्यात गीतकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा कि दिनकर राष्ट्र नहीं विश्वकवि थे जिनकी हर हर विधा में पकड़ थी।

ढाई घण्टे तक चले विराट कवि सम्मेलन में बतौर विशिष्ट अतिथि कवि अजय अंजाम ने दिनकर को साहित्य का सूरज बताते हुए उनपर कविता सुनाई। सभी कवि/कवयित्रियों ने दिनकर पर एक से बढ़कर एक रचनाएँ सुनाई। कई ने उनकी कविताओं का भी पाठ किया। कार्यक्रम अध्यक्षता कर रहे संजय करुणेश ने दिनकर की अप्रकाशित रचना सुनाईं वहीं पंकज प्रियम ने समर शेष है अब भी भारत युद्ध तुझे फिर लड़ना होगा सुनाई। कार्यक्रम का सञ्चालन रजनी शर्मा चँदा, अनामिका अनु, अर्चना पाठक और सुदेष्णा सामंत ने क़िया।
पंकज प्रियम ने सभी रचनाकारो का आभार प्रकट करते हुए कहा कि साहित्य संग्राम न सिर्फ जलन्त समस्या को उठाता है वल्कि उसपर सार्थक चर्चा कर समाधान भी बताता है। दुनियाभर के 70 से अधिक देश, सौ से अधिक शहर और 87 भाषाओं के लाखों दर्शक साहित्योदय को देख रहे हैं और सबों के असीम प्यार ही है संग्राम 21 वें एपिसोड में भी अव्वल रहा है। कोरोना काल में साहित्योदय उम्मीद का सूरज बनकर निकला है और इस विपदा काल को साहित्य सृजन काल मे परिवर्तित कर दिया है। अबतक डेढ़ हजार से अधिक ऑनलाइन काव्यपाठ हो चुका है। साहित्योदय के सफल संचालन में राकेश तिवारी, संजय करुणेश, गीता चौबे, रजनी चँदा, अनामिका अनु, सुदेष्णा सामन्त,किशोरी भूषण और सुषमा तिवारी का महत्वपूर्ण योगदान है।

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