हजारीबाग जिला के 250 मजदूर मुम्बई के कोलीवाड़ा इलाके में फंसे हैं

महाराष्ट्र में फंसे झारखंड के प्रवासी मज़दूरों के साथ किया जा रहा है सौतेला व्यवहार

संघप्रिय वसिष्ठ

हजारीबाग/मुंबई : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पिछले पच्चास दिनों से पूरे देश में लॉक डाउन जारी है और कब तक यह जारी रहेगा किसी को इसका अंदाज़ा नहीं है। मुम्बई में सायन कोलीवाड़ा स्थित एन्टोफिल इलाके में फंसे हज़ारीबाग़ जिला के 250 प्रवासी मजदूरो को भूख से मरने का डर सताने लगा है। प्रवासी मजदूरों का कहना है जो भी पैसा था हमलोगों के पास वो इन पच्चास दिनों में खत्म हो चुका है।

निरंजन भारती

युवा फ़िल्म निर्देशक निरंजन भारती ने फोन कर बताया कि भारत सरकार और राज्य सरकार ने अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों को उनके घर तक भेजने के लिए स्पेशल ट्रेने और बस चलाए जाने की बात कही थी। मुम्बई में झारखंड के फंसे प्रवासी मजदूरों को कहा गया कि जो प्रवासी मजदूर अपना घर जाना चाहता है वो अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर अपनी डिटेल जमा कराए। इसके बाद हम फंसे प्रवासी मजदूर घर जाने के आलम में अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन एन्टोफिल में अपना डिटेल फॉर्म में भर कर जमा करने गए तो पहले मना कर दिया कि ऐसी कोई फॉर्म यहाँ भरा जाता है। रिक्वेस्ट करने के बाद फॉर्म निकाल कर दिया गया। फॉर्म भर कर दिए तो फॉर्म गलत है कह कर लेने से मना कर दिया और फिर दूसरे दिन फिर से आने के लिए कहा। इसी प्रकार लगातार चार दिन चक्कर लगाते रहे जिसके बाद हम सभी मजदूर थाना प्रभारी से भेंट किए। थाना प्रभारी ने कहा कि आपलोगों का कोरोना टेस्ट हो गया है ? हमलोगों ने नहीं में जवाब दिया। इसके बाद हमलोगों से कहा गया कि पहले कोरोना टेस्ट का मेडिकल रिपोर्ट लेकर आओ तभी फॉर्म जमा लिया जाएगा। हमलोग निराश अपने घर लौट आये दूसरे दिन टेस्ट के लिए दो पैथोलॉजी सेंटर में गए जहां पर टेस्ट के लिए हमलोगों से एक व्यक्ति का 4500 मांगा गया। पैसा नहीं होने के कारण हमलोग टेस्ट नही करवाये। इसके वजह से अभी तक हमलोगों का फॉर्म पुलिस स्टेशन में जमा नही हो सका है । हमलोग चाहते हैं पुलिस स्टेशन में प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करने का कोई सरल तरीका अपनाना चाहिए और कोरोना टेस्ट करने का इंतज़ाम पुलिस स्टेशन में ही उपलब्ध करा कर फ्री में किया जाना चाहिए । जिससे प्रवासी मजदूर आसानी से घर पहुंच सके।

झरि साव नाम के श्रमिक ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार प्रवासी मजदूरों को राशन खाना दिए जा रहा है यह बिल्कुल ठीक है । लॉकडाउन के 50 दिन बीत गया पर आज तक न तो हम झारखण्डवशियों को राशन या खाना मिला है और न ही हमारे इलाके में किसी प्रवासी मजदूर को मिला है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुम्बई के घर के मालिकों को आदेश जारी किए थे किसी भी भड़ोतरी से अगले तीन महीने तक रूम का किराया नही लेंगे। इसके बावजूद हमलोगों को रूम के किराया के लिए डेली परेशान करता है। रूम ओनर का कहना है सरकार से मेरा कोई लेना देना नही है वो मेरा घर चलाने नही आता है। घर मे रहता है तो किराया देना होगा। हमलोगों के पास पैसे नहीं है कि हमलोग रूम का किराया दे सकेंग। सहायता के लिए दिल्ली से हमलोगों को 1930 नंबर दिया गया। जब इस नम्बर पर कॉल किया तो यहाँ से मुम्बई के कॉलेक्टर ऑफिस का नम्बर दिया गया। जब यहाँ कॉल किया तो यहाँ से और दो नम्बर मिला पर सहायता कही से नही मिला  इसका मतलब सरकार हम गरीब मजदूरों का मजा ले रही है। फंसे श्रमिकों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से घर वापिस भेजने की गुहार लगाई। फंसे मजदूरों ने कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार और झारखंड सरकार जल्दी हमलोगों को यहाँ से वापिस लाने का इंतेज़ाम नहीं करेगा तो हमलोग पैदल या साईकल से ही घर के लिए निकल जाएंगे पर अब और मुम्बई में हमलोगों को नही मरना है। श्रमिको ने झारखंड सरकार के द्वारा महाराष्ट्र में नियुक्त नोडल ऑफिसर अमरेन्द्र प्रताप सिंह पर फोन नही उठाना और व्हाट्सएप पर भी जवाब नही देने का आरोप लगाया। श्रमिकों ने कहा कि 40 दिनों से लगातार नोडल ऑफिसर अमरेन्द्र प्रताप सिंह को कॉल कर रहे हैं, पर वो एक बार भी फोन नही उठाया। न ही कॉल बैक कर जानने का कोशिश की।  हमलोगों ने व्हाट्सएप पर संदेश भी ड्राप किया उसका भी अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है ।

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