ऐक्ट्रेक और टीएमसी में हर साल होता है 5000 ब्रेस्ट कैंसर का इलाज

स्तन कैंसर को हटाने के बाद कॉस्मेटिक्स सर्जरी के जरिये हो सकता है पुननिर्मित

मुश्ताक खान
संपादक, जगत प्रहरी

मुंबई : मौजूदा समय में भारत में स्तन कैंसर अब आम हो गया है। आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग 1,78000 रोगियों का निदान किया जाता है। इसका मुख्य उपचार सर्जरी है। इनमें अधिकांश रोगियों का पूरा स्तन निकाले जाने के बाद ही स्तन कैंसर से निजात मिलती है। हालांकि इनमें कई रोगियों को पूरा स्तन हटाने की आवश्यकता नहीं होती है। उनमें से कुछ नए स्तन के पुनर्निर्माण के लिए आगे बढ़ते हैं। पुनर्निर्माण के पारंपरिक तरीकों में रोगी के शरीर के अन्य हिस्सों का उपयोग शामिल है। परिणामस्वरूप आंशिक रूप से कार्य करने की क्षमता खत्म हो सकती है और दाता क्षेत्र से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें दर्द, संक्रमण, निशान आदि शामिल हैं। इन ऑपरेशनों के लिए आवश्यक समय अधिक है। औसतन 5 से 6 घंटे और रिकवरी भी 6 से 8 सप्ताह का लम्बा समय लगता है।

खारघर के ACTREC ऐक्ट्रेक और TMC टाटा मेमोरियल सेंटर के ब्रेस्ट यूनिट द्वारा हर साल करीब 5000 ब्रेस्ट कैंसर का इलाज किया जाता है। यह यूनिट आधुनिक सर्जिकल तकनीकों से परिपूर्ण है जो कॉस्मेटिक्स को बनाए रखते हुए कैंसर को साफ करने में मदद करती हैं। प्लास्टिक सर्जिकल टीम की मदद से पूरे ब्रेस्ट को फिर से बनाने की प्रक्रिया भी की जाती है। इनमें से ज़्यादातर मरीज़ों के अपने ऊतकों का इस्तेमाल करके पुनर्निर्माण के पारंपरिक तरीके हैं। जबकि पश्चिमी देशों में, जैविक जाल का उपयोग पूरे शरीर के लिए सिलिकॉन प्रत्यारोपण के आवरण के रूप में किया जाता है।
पहला संपूर्ण स्तन पुनर्निर्माण ब्रैक्सन नामक जैविक जाल का प्रदर्शन वरिष्ठ सर्जिकल डॉ अमर देशपांडे द्वारा किया गया था। हाल ही में ACTREC, खारघर में ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ. दिलीप होसल और उनकी टीम के साथ, पश्चिमी भारत में इस तरह का यह पहला सम्पूर्ण स्तन पुनर्निर्माण ऑपरेशन है। डॉ. अमर देशपांडे ने यूके में कंसल्टेंट ब्रेस्ट सर्जन के रूप में काम किया है।

टीएमसी में इस प्रक्रिया का है बड़ा अनुभव

यह प्रक्रिया सरल, त्वरित और तेजी से ठीक होने वाली है। डॉ. अमर ने कहा, “स्तन पुनर्निर्माण का यह तरीका अपनी सरलता के कारण बहुत कम दर्दनाक है, बहुत तेज़ (लगभग 2 से 3 घंटे) है और इसमें मरीज़ के शरीर के किसी दूसरे हिस्से से ऊतक का उपयोग नहीं करना पड़ता है। इसलिए स्तन पुनर्निर्माण के पारंपरिक तरीकों की तरह उनके शरीर के दाता क्षेत्र से जुड़े जोखिम समाप्त हो जाते हैं। रिकवरी तेज़ होती है (लगभग 3 से 4 सप्ताह)। इस प्रक्रिया के परिणाम स्तन पुनर्निर्माण के पारंपरिक तरीकों से तुलनीय हैं। लागत भी पारंपरिक पुनर्निर्माण प्रक्रियाओं के बराबर है”। टीएमएच में स्तन सर्जरी की प्रोफेसर डॉ. शलाका जोशी ने कहा, “भविष्य में टीएमएच और एसीटीआरईसी में अनेक उपयुक्त रोगियों को सम्पूर्ण स्तन पुनर्निर्माण के पारंपरिक तरीकों के अलावा पुनर्निर्माण के इस तरीके का लाभ मिलता रहेगा।”

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