बीएसएल के नए डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश, चर्चा गरम

बीएसएल के फिरेंगे दिन, पहले भी यहां काम कर चुके हैं अमरेंदु प्रकाश

Bokaro: निराशा भरे इस माहौल में बोकारो इस्पात संयंत्र के पहले डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश ने अपनी जिम्मेवारी संभाल ली है। दिल्ली से रांची होते हुए प्रकाश आज 28 सितम्बर की शाम बोकारो पहुंचे। आते ही सीधे वह अपने ऑफिस गए और करीब एक घंटे रुके। इसके बाद वह सीधे बोकारो निवास गए। वहां ईडी और जीएम से मुलाकात कर प्लांट का हालचाल लिया। प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिले।

अमरेंदु प्रकाश के लिए बोकारो कोई नया शहर नहीं है, पर परिस्थियां जरूर बदली हुई हैं। 10 महीने से खाली पड़े सीईओ के इस पद ( जिससे अब खत्म कर डायरेक्टर इंचार्ज घोषित किया गया है) ने बहुत सी समस्याओं को सामने ला दिया है। पर इन सब के बीच शहर में चर्चा आम है कि नए डायरेक्टर कैसे होंगे? कुछ लोगों का तर्क है कि अगर नम होंगे तो जैसे चल रहा है वैसे ही चलेगा। अगर कड़क हुए तो ही कुछ हो सकता है।

वैसे जो लोग प्लांट में अमरेंदु प्रकाश की कार्यप्रणाली से परिचित हैं, उनका कहना है कि वह बहुत डायनामिक अफसर हैं। गलती को माफ़ नहीं करते और अच्छे कामों को बढ़ावा देने में पीछे नहीं हटते। कुछ लोगों का कहना है कि इनके कार्य करने का तरीका बोकारो स्टील प्लांट के भूतपूर्व एम डी, सुरेश पांडेय से मिलता-जुलता है। लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते और हर काम में परफेक्शन चाहते हैं। सीईओ सेक्टेरियट में भी हलचल है। प्लांट के अंदर भी चर्चा का माहौल गर्म है। आम लोगों की भाषा में बोला जाये तो अमरेंदु प्रकाश के आने की धमक बीएसएल के अधिकारियो और कर्मचारियों के बीच हो गई है।

यूनियन लीडर्स के बीच भी असेसमेंट का दौर जारी है। अमरेंदु प्रकाश के बीएसएल में पुराने होने के कारण वह सब यूनियनस को गहराई से जानते हैं, इस बात का एहसास सबको है। विस्थापित का मामला भी अभी जोर पकडे हुए है। स्थाई- अस्थाई नौकरी, पुनर्वास, विस्थापित गांव का विकास और अन्य मुद्दे पहले से ही जटिल बने हुए हैं। अमरेंदु प्रकाश के डायरेक्टर बनने के साथ-साथ एक और खबर आई है की उन्हें सरकार ने पांच साल के लिए पदस्थापित किया है। विस्थापित नेताओं के बीच यह चर्चा है कि, चुकी अमरेंदु प्रकाश पांच सालों तक इस पद पर रहने वाले हैं तो वह उनकी मागों को जरूर गंभीरता पूर्वक लेंगे और समाधान करेंगे।

प्लांट के अंदर की बात करे तो वहां एक कथनी बहुत मशहूर है – “बन के रहो पगला- काम करेगा अगला “। ईमानदारी से काम करने वालो की तादाद बहुत कम है, जो लोग ईमानदारी से काम कर रहे हैं उन्हें पगला समझा जाता है। पर चुकी अमरेंदु प्रकाश खुद काम की बदौलत इस पद को हासिल किये हैं, अब ईमानदारी से काम करने वालों के बीच यह चर्चा है कि उनका समय आ गया है।
इधर कर्मचारी भी मोटिवेटेड फील कर रहे हैं। कई कर्मचारी पहले से अमरेंदु प्रकाश के संपर्क में रहे हैं। पोलिटिकल पार्टीज भी कोरोनाकल में नए डायरेक्टर इंचार्ज के आगमन को पोजिटीविली ले रहे हैं। उनके हिसाब से बीएसएल में अब कोई जिम्मेवारी लेने वाला अधिकारी तो आया। 10 महीनों से सब ऐसे ही चल रहा था।

कॉन्ट्रैक्टर्स वेट एंड वाच मोड में है। हाल में इस्पात मंत्री ने संसद में कहा है की बीएसएल में मोडर्निज़ेशन और एक्सपेंशन के मार्फ़त प्रोडक्शन बढ़ेगा। प्लांट के बाहर BIADA के इंडस्ट्रीज के रिवाइवल को लेकर भी उद्यमी भी आशावान हैं। उद्यमी यह जानते हैं कि अमरेंदु प्रकाश BIADA के इंडस्ट्रीज के हालात के बारे में पहले से वाकिफ हैं। करीब 200 इंडस्ट्रीज जिनका प्रोडक्शन बीएसएल बेस्ड है, प्रभावित या बंद हो गयी है। स्टील मिनिस्ट्री की नज़र BIADA के इंडस्ट्रीज पर है पर अब तक कुछ नहीं हुआ। कोरोना काल में स्थितियां और बदतर हो गयी हैं।

वहीं बीएसएल की टाउनशिप की समस्या अनगिनत है। लोग परेशान हैं। लोगों को अमरेंदु प्रकाश से काफी आशा है क्योंकि वह जानते है कि वह भी ऐसी ही क्वार्टर में रहकर वहां तक पहुंचे है। टाउनशिप में बिजली चोरी चरम पर है। बीएसल के क्वार्टर्स पर अवैध कब्ज़ा धड़ले से हो रहा है। बीएसएल की जमींन का अतिक्रमण पहले से ज्यादा हो गया है। सिटी सेंटर के प्लाट होल्डर्स के तकलीफे बड़ी हुई है। पार्क उजड़े हुए है। चिड़ियाघर में जानवरों के मरने का सिलसिला जारी है। स्ट्रीट लाइट्स और रोड अफसर कॉलोनी में दुरुस्त है, वही सेक्टर 9, 8 और दूसरे सेक्टर्स में पस्त है।

जिला प्रशासन भी नए डायरेक्टर इचार्ज के होने को मजबूती से ले रहा है। बीएसएल से जुड़े कई मामलों के समाधान का रास्ता खुलने के आसार है। वही बीएसल के पावर प्लांट – BPSCL – में फ्लाई ऐश डंपिंग की समस्या है। फ्लाई ऐश ट्रांसपोर्टेशन NHAI को कई महीनों से प्रभावित है। पर इन सब समस्याओं में सबसे दर्द देने वाली समस्या बोकारो जनरल अस्पताल की है। लोगों की नज़र में BGH की स्थिति बहुत ख़राब हो गयी है। स्थिति यह है कि मरीजों को अब कसुअलटी से भगा दिया जाता है। कॉरोनकाल में डॉक्टर, नर्सेस और स्टाफ का रवैया पहले तो अच्छा रहा पर जब पॉजिटिव लोगों की संख्या बढ़नी लगी तो BGH अपने असली रूप में आ गया।

BGH को सख्त एडमिनिस्ट्रेटर की जरुरत है। यहाँ के डॉक्टर्स पूर्णतः डिमोटिवटेड हो चुके है और इंटरनल पॉलिटिक्स चरम पर है। लोगों का गुस्सा BGH पर फूटने लगा है। बीएसएल के कर्मचारी और अधिकारी भी BGH  के रवैये से नाराज़ हैं। सिर्फ कुछ एक डॉक्टर्स के बदौलत BGH चल रहा है। इतने बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और मॉडर्न मेडिकल इक्विपमेंट होने के बावजूद BGH नॉन-परफॉमिंग एसेट होता जा रहा है। अमरेंदु प्रकाश के आने से लोगों में BGH की कार्यप्रणाली में बदलाव की आशा है। BGH एक ऐसा पॉइंट है, जिसके ठीक होने से अधिकारी या कर्मचारी ही नहीं अपितु पूरा शहर का दिल जीता जा सकता है।

बीएसएल में बहुत पोटेंशियल है। पर आज तक जितने भी सर्वोच्च अधिकारी उस कुर्सी में बैठे किसी ने ओवरआल डेवलपमेंट को लेकर काम नहीं किया। सबके बारे में नहीं सोचा। सिर्फ प्रोडक्शन के बारे में सोचा। इसलिए काम तो हुआ पर अच्छा या पॉजिटिव माहौल कभी नहीं बन पाया। बदनामी अधिक हुई। बीएसएल के शहर में रहकर लोग बीएसएल प्रबंधन को गैर और दुश्मन समझने लगे। BGH जो अकेले ही लोगों की भावना को जोड़ सकता था, उसने सबसे अधिक लोगों को घाव दिए। सिर्फ अच्छे प्रोडक्शन से अच्छा माहौल नहीं बन सकता, अच्छे माहौल से अच्छा प्रोडक्शन जरूर हो सकता है।

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